Humans in the Loop; जब AI की ठंडी स्क्रीन पर उभर आती है जंगल की गर्म सांस

20th November 2025

CINEMA DESK

“Humans in the Loop” एक ऐसी फिल्म है जो तकनीक को सिर्फ तकनीक नहीं मानती—यह उसे एक जीवित प्रणाली की तरह देखती है, जो इंसानों की समझ, प्रकृति की जटिलता और सांस्कृतिक पहचान से सीखती है। फिल्म की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह AI और आदिवासी दुनिया को एक दूसरे के विरोध में नहीं रखती, बल्कि एक ऐसे संवाद की तरह पेश करती है जिसमें दोनों एक-दूसरे का अर्थ पूरा कर सकते हैं।

कहानी: स्क्रीन और जंगल के बीच फँसी एक महिला

नेहमा, झारखंड के औरांव समुदाय की एक महिला, जंगल और तकनीक के बीच पेंडुलम की तरह झूल रही है। एक तरफ उसका जंगल—जिसकी आवाज़, गंध, चाल, और नियम उसने बचपन से सीखे हैं। दूसरी तरफ AI—जिसे वह रोज़ अपनी स्क्रीन पर “सिखाती” है कि किसी जीव, पंछी, कीड़े और हरकत का क्या मतलब होता है।

फिल्म का यह कॉन्ट्रास्ट बेहद मौलिक है।

जंगल उसके लिए भावनाओं और यादों का घर है।

AI उसके लिए भविष्य की भाषा।

और नेहमा दोनों में पुल बनने की कोशिश करती है।

AI की सीमाएँ और आदिवासी समझ की व्यापकता

फिल्म बड़ी खूबसूरती से दिखाती है कि AI, चाहे कितना भी एडवांस हो, उसकी दुनिया सीमित है

वह वही समझता है जो उसे डेटा में दिखता है।

लेकिन जंगल…

जंगल डेटा नहीं, अनुभव है।

जंगल एल्गोरिथ्म नहीं, स्मृति है।

जब नेहमा एक साधारण से कीड़े को “पेस्ट” की तरह टैग करने में हिचकती है, तो उसमें सिर्फ टेक्निकल दिक्कत नहीं, बल्कि उस ज्ञान की रक्षा है जो पीढ़ियों से उसके समुदाय में जिया गया है।

फिल्म का यह हिस्सा बेहद सूक्ष्म है—AI के बायस की बात नहीं होती, बल्कि प्रकृति की उस समझ की जो केवल जंगल के बीच रहने वाला व्यक्ति जान सकता है।

AI में आदिवासी पहचान का प्रवेश

जब नेहमा AI को अपने गाँव, अपनी धरती, अपनी भाषा, अपने रंगों और अपनी दुनिया की तस्वीरें दिखाती है, तो यह दृश्य फिल्म की आत्मा जैसा है।

वह मशीन को सिर्फ “जानकारी” नहीं देती, वह उसमें “पहचान” भरती है। AI आर्ट जनरेटर का एक ब्राउन-स्किन वाली आदिवासी महिला को दिखाना सिर्फ एक इमेज नहीं है—यह वह पल है जब तकनीक एकसमान सौंदर्य की परिभाषा को तोड़कर नेहमा की दुनिया से सीखना शुरू करती है।

फिल्म यह कहती है कि तकनीक को सिर्फ महानगरों की भाषा में नहीं, बल्कि जंगलों, पहाड़ों और मिट्टी की भाषा में भी सिखाया जा सकता है। और शायद सिखाया जाना चाहिए।

माँ और बेटी: पहचान की दो दिशाएँ

नेहमा की बेटी धानू आदिवासी जीवन और शहर की दो दुनियाओं के बीच फँसी हुई है।

उसके लिए

जंगल = डर

शहर = आज़ादी

लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, जंगल उसका अपना बना जाता है।

एक पोरकपाइन के कांटों का रास्ता उसे जंगल से बाहर लाता है—और यह बेहद काव्यात्मक है।

जैसे जंगल नेहमा की दोस्ती को याद रखता है, वैसे ही वह धानू को अपनाता है। यह दृश्य बहुत कुछ कहता है, AI एक तरह की याद है, और जंगल भी एक तरह की याद है।

फर्क इतना है कि जंगल की याद भावनाओं में दर्ज होती है, AI की याद डेटा में।

तकनीक और परंपरा का संवाद, “Humans in the Loop” किसी भी जगह यह नहीं कहती कि AI बुरा है या जंगल श्रेष्ठ।

फिल्म यह पूछती है कि—

क्या मशीनें हमारे बिना पूरी समझ बना सकती हैं? और क्या प्रकृति हमारी तकनीक से बाहर रह सकती है?

नेहमा जिस तरह AI को अपनी दुनिया का हिस्सा बनाती है और धानू जिस तरह जंगल को अपने भीतर फिर से खोजती है, वही फिल्म की सबसे बड़ी जीत है।

यह एक बेहद आधुनिक और बेहद प्राचीन विचार को साथ लाती है, कि इंसान भविष्य को तभी समझ पाएगा, जब वह अपनी जड़ों को भूलेगा नहीं।

कुल मिलाकर, “Humans in the Loop” एक शांत, संवेदनशील और बेहद बुद्धिमानी से कही गई फिल्म है।

यह AI की चमकती स्क्रीन और आदिवासी जंगलों की काई-भरी जमीन, दोनों को बराबर जगह देती है। इसका संदेश सीधा है, तकनीक तब पूरी होती है जब वह सिर्फ कोड नहीं, बल्कि संस्कृति को भी समझे। और शायद भविष्य वही है जहां AI और जंगल एक दूसरे की भाषाएँ सीखते हैं।

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