नीतीश के बिना सरकार? JDU के संजय झा ने साफ-साफ कहा क्या सच है

16th November 2025

Patna

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। एनडीए को रिकॉर्ड बढ़त मिली है और गठबंधन 200 से अधिक सीटों के खेमे में खड़ा है। इसी बीच सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में एक नया सवाल तेजी से तैर रहा है—क्या बीजेपी अब जेडीयू के बिना भी सरकार बना सकती है? क्या मुख्यमंत्री का चेहरा बदल सकता है? इस पूरी चर्चा में जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने स्पष्ट रुख रखते हुए अटकलों पर ब्रेक लगाने की कोशिश की है।

243 सीटों वाले बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि जेडीयू ने 85 सीटें जीतीं। चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) ने 19, जीतनराम मांझी की हम-सेक्युलर ने 5 और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने 4 सीटें हासिल कीं। यह कुल संख्या 202 तक पहुंचती है, यानी एनडीए बहुत मजबूत स्थिति में है।

दूसरी ओर, महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। आरजेडी 25 सीटों पर सिमट गई, कांग्रेस केवल 6 सीटें जीत पाई। एआईएमआईएम को 5, CPI-ML को 2, जबकि IIP, माकपा और बसपा को 1-1 सीट मिली है।

इसी सीट गणित के बीच अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि बीजेपी चाहे तो जेडीयू के बिना भी अपनी सरकार बना सकती है। वहीं दूसरी ओर एक और थ्योरी जोर पकड़ रही है—नीतीश कुमार विपक्षी दलों और ओवैसी के सपोर्ट से भी एक नया समीकरण खड़ा कर सकते हैं।

इन्हीं मुद्दों पर संजय झा से पूछा गया कि क्या जेडीयू के बिना भी सरकार बनाने की कोशिश हो सकती है? क्या नीतीश कुमार ही पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे?

इस पर संजय झा ने साफ कहा, मैं ऐसी राजनीतिक अटकलों पर टिप्पणी नहीं कर सकता। समय आने पर सब सामने आ जाएगा। लेकिन इतना स्पष्ट है कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है और किसी तरह का भ्रम नहीं है।”

जब उनसे पूछा गया कि इतनी बड़ी जीत का गठबंधन की अंदरूनी राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, तो उन्होंने कहा—
कुछ नहीं बदलेगा। हमारे बीच बेहतरीन तालमेल है। हम एक टीम की तरह काम कर रहे हैं। यह जीत तभी संभव हो सकी क्योंकि सभी सहयोगी एक साथ थे—इसमें चिराग पासवान भी शामिल हैं। अगर हम एकजुट नहीं होते, तो 200 पार करना कल्पना होता।”

उनके अनुसार, आने वाले समय में एनडीए का फोकस सिर्फ एक ही होगा—जनता के लिए डिलीवर करना और केंद्र-राज्य के मजबूत रिश्तों के सहारे विकास को गति देना।

बिहार की राजनीति में फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा इन्हीं ‘संभावनाओं’ और ‘थ्योरीज़’ की है। लेकिन संजय झा के बयान ने यह संदेश जरूर दे दिया है कि जेडीयू फिलहाल किसी तरह की उलझन में नहीं है और एनडीए की एकजुटता को लेकर पार्टी आत्मविश्वास से भरी है।

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