कहां है RSS का रजिस्ट्रेशन? कांग्रेस ने संघ की फंडिंग पर उठाए सवाल, भाजपा ने बताया- स्वैच्छिक संगठन, रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं

9th November 2025

CENTRAL DESK

कांग्रेस और RSS के बीच राजनीतिक तकरार तेज हो गई है। कर्नाटक में कांग्रेस नेता सह मंत्री प्रियांक खरगे और वरिष्ठ नेता बी. के. हरिप्रसाद ने संघ की फंडिंग और पंजीकरण को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि अगर RSS एक औपचारिक संगठन है, तो उसे यह बताना चाहिए कि वह आर्थिक रूप से कैसे संचालित होता है और उसका रजिस्ट्रेशन कहां है।

बेंगलुरू में मीडिया से बात करते हुए प्रियांक खरगे ने कहा — अगर RSS पंजीकृत है, तो उसका दस्तावेज़ सार्वजनिक किया जाए। मार्च, यूनिफॉर्म, ढोल-ताशे और इमारतों के लिए पैसा कहां से आता है? अगर यह संगठन अपंजीकृत है, तो इसकी फंडिंग किस नियम के तहत हो रही है?”

खरगे ने आगे आरोप लगाया कि RSS जानबूझकर अपंजीकृत रहकर टैक्स और एनजीओ से जुड़े कानूनी दायरे से बचना चाहता है। वहीं दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी. के. हरिप्रसाद ने भी सवाल उठाया — कांग्रेस और भाजपा दोनों चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं, लेकिन RSS कहां रजिस्टर्ड है, कोई नहीं जानता।”

हरिप्रसाद ने दावा किया कि RSS हर साल विजयादशमी पर “गुरु दक्षिणा” के नाम पर नकद चंदा इकट्ठा करता है, लेकिन उसके स्रोत और उपयोग का कोई हिसाब नहीं देता। उन्होंने आरोप लगाया कि संघ ने करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से इमारत बनाई है, लेकिन धन का स्रोत अब तक स्पष्ट नहीं किया गया है।

भाजपा का पलटवार:

भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सी. एन. अश्वथ नारायण ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि RSS एक स्वैच्छिक संगठन” है और उसे रजिस्ट्रेशन कराने की कानूनी बाध्यता नहीं है। उन्होंने कहा, संविधान हर संगठन को सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां करने की स्वतंत्रता देता है। कांग्रेस के आरोप सिर्फ राजनीतिक नाटक हैं।”

सरकारी कार्रवाई और विवाद की पृष्ठभूमि:

RSS पर अपने सख्त रुख के लिए चर्चा में रहने वाले प्रियांक खरगे ने हाल ही में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर RSS से जुड़े सरकारी कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद सरकार ने बीदर जिले के ओबीसी कल्याण छात्रावास में कार्यरत सहायक रसोइया प्रमोद कुमार को सेवा से हटा दिया, जबकि रायचूर जिले के पंचायत विकास अधिकारी प्रवीन कुमार को निलंबित किया गया।

कर्नाटक सिविल सर्विस नियमों के मुताबिक सरकारी कर्मियों को किसी राजनीतिक संगठन से जुड़ने या उसकी गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। खरगे का कहना है कि RSS का भाजपा से सीधा संबंध है, जबकि भाजपा का कहना है कि यह एक राष्ट्रवादी संगठन है, जो किसी राजनीतिक दल का अंग नहीं है।

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