NEW DELHI
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश के दो महान जनजातीय नायकों — भगवान बिरसा मुंडा और कोमाराम भीम — को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इन अनसुने नायकों के संघर्ष और बलिदान को जानें, जिनकी कहानियां भारत की आज़ादी के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर देश “जनजातीय गौरव दिवस” (Janajatiya Gaurav Diwas) मनाएगा। उन्होंने भावुक स्वर में कहा, “भगवान बिरसा मुंडा ने आज़ादी के लिए, अपने समाज के अधिकारों के लिए जो काम किया, वह अतुलनीय है। मुझे सौभाग्य मिला कि मैं झारखंड के उलिहातू गांव गया, जो बिरसा मुंडा की जन्मभूमि है। मैंने उस पवित्र मिट्टी को माथे से लगाकर नमन किया।”
मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा सिर्फ झारखंड या आदिवासी समाज के नहीं, बल्कि पूरे भारत के नायक हैं — एक ऐसा युवा जिसने अंग्रेज़ों के खिलाफ जनांदोलन खड़ा किया और आदिवासी पहचान को नया आत्मगौरव दिया। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे बिरसा मुंडा के जीवन से सीख लें — “कैसे सीमित साधनों में भी उन्होंने अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया और एक नई चेतना जगाई।”
इसके बाद प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के जनजातीय योद्धा कोमाराम भीम को याद किया, जिन्होंने निज़ाम के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह किया था। मोदी ने कहा, “ब्रिटिश शासन के साथ-साथ हैदराबाद में निज़ाम के जुल्म भी चरम पर थे। गरीबों और आदिवासियों की ज़मीनें छीनी जा रही थीं, भारी कर लगाए जा रहे थे, और विरोध करने वालों के हाथ तक काट दिए जाते थे।”
इसी दौर में, प्रधानमंत्री ने बताया, “करीब बीस साल का एक युवा खुलकर इस अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ। किसानो की फसल जब्त करने आए निज़ाम के अफसर सिद्दीकी को उसने मार गिराया और गिरफ्तारी से बचते हुए असम तक पहुँच गया। यह युवा था — कोमाराम भीम।”
मोदी ने कहा कि भले ही भीम का जीवन छोटा रहा — केवल 40 साल — लेकिन उन्होंने जनजातीय समाज में ऐसा जोश भरा कि वे निज़ाम के शासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए। “उनका साहस और रणनीतिक सोच युवाओं के लिए प्रेरणा है,” प्रधानमंत्री ने कहा।
कार्यक्रम के अंत में मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा और कोमाराम भीम जैसे असंख्य जनजातीय नायकों ने भारत की आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी। “इन महान आत्माओं ने हमें सिखाया कि असली वीरता केवल युद्ध में नहीं, बल्कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने में है,” उन्होंने कहा।
‘मन की बात’ प्रधानमंत्री मोदी का मासिक रेडियो कार्यक्रम है, जो हर महीने के आख़िरी रविवार को प्रसारित होता है। इसकी शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 को हुई थी और इसका मकसद देश के नागरिकों — खासकर युवाओं, महिलाओं और जनजातीय समाज — से सीधे संवाद करना है।
इस बार के प्रसारण में प्रधानमंत्री का संदेश साफ था — भारत के असली नायक हमारे जनजातीय समाज से निकले वे लोग हैं, जिनकी गाथाएं आज भी प्रेरणा देती हैं।
जनजातीय गौरव की 2 गाथाएं: पीएम मोदी ने किया बिरसा मुंडा और कोमाराम भीम को याद, युवाओं से कहा- ये असली हीरो
Report Two tales of tribal pride PM Modi remembers Birsa Munda and Komaram Bheem
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश के दो महान जनजातीय नायकों — भगवान बिरसा मुंडा और कोमाराम भीम — को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इन अनसुने नायकों के संघर्ष और बलिदान को जानें, जिनकी कहानियां भारत की आज़ादी के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर देश “जनजातीय गौरव दिवस” (Janajatiya Gaurav Diwas) मनाएगा। उन्होंने भावुक स्वर में कहा, “भगवान बिरसा मुंडा ने आज़ादी के लिए, अपने समाज के अधिकारों के लिए जो काम किया, वह अतुलनीय है। मुझे सौभाग्य मिला कि मैं झारखंड के उलिहातू गांव गया, जो बिरसा मुंडा की जन्मभूमि है। मैंने उस पवित्र मिट्टी को माथे से लगाकर नमन किया।”
मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा सिर्फ झारखंड या आदिवासी समाज के नहीं, बल्कि पूरे भारत के नायक हैं — एक ऐसा युवा जिसने अंग्रेज़ों के खिलाफ जनांदोलन खड़ा किया और आदिवासी पहचान को नया आत्मगौरव दिया। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे बिरसा मुंडा के जीवन से सीख लें — “कैसे सीमित साधनों में भी उन्होंने अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया और एक नई चेतना जगाई।”
इसके बाद प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के जनजातीय योद्धा कोमाराम भीम को याद किया, जिन्होंने निज़ाम के अत्याचार के खिलाफ विद्रोह किया था। मोदी ने कहा, “ब्रिटिश शासन के साथ-साथ हैदराबाद में निज़ाम के जुल्म भी चरम पर थे। गरीबों और आदिवासियों की ज़मीनें छीनी जा रही थीं, भारी कर लगाए जा रहे थे, और विरोध करने वालों के हाथ तक काट दिए जाते थे।”
इसी दौर में, प्रधानमंत्री ने बताया, “करीब बीस साल का एक युवा खुलकर इस अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ। किसानो की फसल जब्त करने आए निज़ाम के अफसर सिद्दीकी को उसने मार गिराया और गिरफ्तारी से बचते हुए असम तक पहुँच गया। यह युवा था — कोमाराम भीम।”
मोदी ने कहा कि भले ही भीम का जीवन छोटा रहा — केवल 40 साल — लेकिन उन्होंने जनजातीय समाज में ऐसा जोश भरा कि वे निज़ाम के शासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए। “उनका साहस और रणनीतिक सोच युवाओं के लिए प्रेरणा है,” प्रधानमंत्री ने कहा।
कार्यक्रम के अंत में मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा और कोमाराम भीम जैसे असंख्य जनजातीय नायकों ने भारत की आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी। “इन महान आत्माओं ने हमें सिखाया कि असली वीरता केवल युद्ध में नहीं, बल्कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने में है,” उन्होंने कहा।
‘मन की बात’ प्रधानमंत्री मोदी का मासिक रेडियो कार्यक्रम है, जो हर महीने के आख़िरी रविवार को प्रसारित होता है। इसकी शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 को हुई थी और इसका मकसद देश के नागरिकों — खासकर युवाओं, महिलाओं और जनजातीय समाज — से सीधे संवाद करना है।
इस बार के प्रसारण में प्रधानमंत्री का संदेश साफ था — भारत के असली नायक हमारे जनजातीय समाज से निकले वे लोग हैं, जिनकी गाथाएं आज भी प्रेरणा देती हैं।




