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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA गठबंधन का समीकरण अब गहराता दिख रहा है। सीट बंटवारे पर सहमति बनने के बाद जहां बीजेपी और जेडीयू ने बराबर-बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था, वहीं अब नीतीश कुमार के कदम ने इस समझौते की जड़ें हिला दी हैं। जेडीयू ने अपनी पहली सूची में पांच ऐसी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं जो चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) के हिस्से में मानी जा रही थीं।
जेडीयू ने बुधवार को 57 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिनमें मोरवा, गायघाट, राजगीर, सोनबरसा और एकमा जैसी सीटें भी शामिल हैं — ये सभी लोजपा (आर) के कोटे में थीं। राजगीर से मौजूदा विधायक कौशल किशोर, सोनबरसा से मंत्री रत्नेश सदा, एकमा से धूमल सिंह, मोरवा से विद्यासागर निषाद और गायघाट से कोमल सिंह को टिकट देकर जेडीयू ने साफ कर दिया कि अपनी मजबूत सीटें वह किसी के लिए नहीं छोड़ेगा।
गौरतलब है कि NDA फॉर्मूले के तहत जेडीयू और बीजेपी को 101-101 सीटें मिली थीं, जबकि बाकी 41 सीटें सहयोगी दलों में बांटी गईं — जिनमें चिराग पासवान की लोजपा (आर) को 29, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम और जीतनराम मांझी की हम को 6-6 सीटें दी गई थीं। लेकिन अब हालात कुछ और बयां कर रहे हैं।
मांझी ने भी चिराग को दी चुनौती
इस बीच, जीतनराम मांझी ने भी एलान कर दिया है कि वह चिराग पासवान को मिली मखदुमपुर और गया जी सीट पर अपना प्रत्याशी उतारेंगे। इससे साफ है कि NDA में अब अंदरूनी टकराव खुलकर सामने आ गया है।
बीजेपी के लिए मुश्किल संतुलन
बीजेपी के लिए यह स्थिति परेशानी भरी हो सकती है। पार्टी के प्रभारी विनोद तावड़े पिछले एक साल से NDA में तालमेल मजबूत करने की कोशिश में लगे थे, लेकिन अब नीतीश, कुशवाहा और मांझी के तेवर ने सियासी समीकरण उलझा दिए हैं।
जेडीयू का आरोप है कि जब तक बातचीत पटना में चल रही थी, तब लोजपा (आर) को सिर्फ 22 सीटें देने पर सहमति थी, लेकिन जैसे ही वार्ता दिल्ली पहुंची, सीटें अचानक बढ़ाकर 29 कर दी गईं। जेडीयू अब यह दावा कर रही है कि उसका गठबंधन सीधे बीजेपी से है, न कि लोजपा, हम या आरएलएम से।
नीतीश कुमार का यह कदम जहां उनकी राजनीतिक जिद और रणनीतिक सोच दोनों को दिखाता है, वहीं इससे यह भी साफ होता है कि NDA में सबकुछ ‘ऑल इज़ वेल’ नहीं है। आने वाले दिनों में यह तकरार गठबंधन की बड़ी परीक्षा बन सकती है।




