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व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में युद्धविराम के लिए हमास के सामने कड़ी शर्तें रखीं। उन्होंने 72 घंटों के भीतर सभी बंधकों की रिहाई, हमास का पूरी तरह से निरस्त्रीकरण और गाजा की असैन्यीकरण की मांग की। इससे युद्ध समाप्त होने की उम्मीदें बढ़ गयी हैं।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में अहम बातचीत हुई। बैठक के बाद नेतन्याहू ने गाजा में युद्धविराम के लिए तीन अहम शर्तें सामने रखीं — 72 घंटे में सभी बंधकों की रिहाई, हमास को पूरी तरह से हथियारविहीन करना और गाजा को असैन्यीकृत बनाना। ट्रंप ने इस दौरान स्पष्ट किया कि हमास के खिलाफ इस संघर्ष में अमेरिका पूरी तरह से इजरायल के साथ खड़ा है।
वार्ता के दौरान ट्रंप ने नेतन्याहू को ‘अमेरिका का सबसे करीबी मित्र’ बताया और भरोसा दिलाया कि इजरायल को अमेरिकी समर्थन बिना किसी शर्त के जारी रहेगा। इस मौके पर नेतन्याहू ने भी ट्रंप की मध्य-पूर्व शांति योजना पर सहमति जताई और कतर के प्रधानमंत्री को फोन कर दोहा पर हुए इजरायली हवाई हमले के लिए खेद जताया।
ट्रंप ने दी हमास को सत्ता से दूर रखने की चेतावनी
संयुक्त प्रेस वार्ता में ट्रंप ने दो टूक कहा कि हमास को गाजा की सत्ता में दोबारा लौटने नहीं दिया जाएगा। अमेरिका की इस नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि युद्धविराम की कोई भी प्रक्रिया तभी संभव है जब हमास बंधकों को छोड़े और हथियार डाले।
ट्रंप प्रशासन ने मिस्र को एक 20 बिंदुओं वाली शांति योजना सौंपी है, जिसे हमास तक पहुंचाया जाएगा। इस योजना में गाजा से इजरायली सेना की वापसी, वेस्ट बैंक में इजरायली विस्तार न बढ़ाने और क्षेत्र में स्थायी शांति बहाली जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।
हमास बोला- हथियार नहीं डालेंगे
दूसरी ओर, हमास ने कहा है कि वह केवल स्थायी युद्धविराम की शर्त पर बंधकों की रिहाई के लिए तैयार है, लेकिन हथियार नहीं छोड़ेगा। उनका कहना है कि जब तक स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना नहीं होती, उनका संघर्ष जारी रहेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की ओर से भेजा गया शांति प्रस्ताव अब तक उन्हें नहीं मिला है।
कतर PM से फोन पर माफी
नेतन्याहू ने ट्रंप के आग्रह पर व्हाइट हाउस से ही कतर के प्रधानमंत्री शेख मुहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल-थानी को फोन किया और 9 सितंबर को दोहा में हमास नेताओं पर हुए इजरायली हवाई हमले के लिए खेद जताया। इस हमले में छह लोगों की मौत हुई थी। जब यह फोन वार्ता हो रही थी, तब कतर की तकनीकी टीम भी व्हाइट हाउस में मौजूद थी।




