मैसूरु
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक ने इस बार मैसूर दशहरा उत्सव का शुभारंभ किया। चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उन्होंने औपचारिक तौर पर उत्सव का उद्घाटन किया। उनके आमंत्रण को लेकर विवाद भी खड़ा हुआ था, जिसे सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी गई, लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
विवाद और अदालत का फैसला
कर्नाटक सरकार की ओर से बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि बनाकर उत्सव का उद्घाटन कराने के फैसले पर कुछ भाजपा नेताओं और दक्षिणपंथी संगठनों ने आपत्ति जताई थी। तर्क यह दिया गया कि मंदिर के गर्भगृह में कोई गैर हिंदू पूजा-अर्चना कैसे कर सकता है। इस पर जनहित याचिका दाखिल हुई और तत्काल सुनवाई की मांग की गई। हालांकि, सीजेआई बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे खारिज कर दिया।
सुरक्षा और कार्यक्रम
उद्घाटन के मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी उनके साथ मौजूद रहे। देवी चामुंडेश्वरी को पुष्प अर्पित करने के बाद मुश्ताक ने आधिकारिक रूप से दशहरा महोत्सव का शुभारंभ किया।
कौन हैं बानू मुश्ताक?
62 वर्षीय बानू मुश्ताक कन्नड़ भाषा की जानी-मानी लेखिका हैं। वह किसान आंदोलनों और कन्नड़ भाषा आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़ी रही हैं। वर्ष 2025 में उन्हें अपने लघु कथा-संग्रह एडो हनाटे के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर अवार्ड मिला। यह सम्मान पाने वाली वह पहली कन्नड़ लेखिका बनीं। उनके इस संग्रह का अंग्रेजी अनुवाद दीपा भस्थ ने किया था।




