पटना
बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए हलफनामा दाखिल किया है। आयोग ने कहा है कि राज्य में किसी भी योग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची से बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और ठोस कारण बताए नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने यह भरोसा दिलाया है कि सभी पात्र मतदाताओं के नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।
ECI ने बताया कि SIR के दौरान मतदाता सूची से नामों को गलत तरीके से हटाने से रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में 12 अगस्त को होने वाली सुनवाई से पहले दाखिल हलफनामे में आयोग ने कहा कि वह ड्राफ्ट सूची से बाहर रखे गए व्यक्तियों की अलग सूची प्रकाशित करने के लिए बाध्य नहीं है और न ही ऐसा कोई नियम है जो उनके नाम न जोड़ने के कारण बताना अनिवार्य बनाता है।
चुनाव आयोग ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर उस याचिका का विरोध किया है जिसमें बाहर किए गए मतदाताओं की सूची प्रकाशित करने और नाम न जोड़े जाने के कारण बताने की मांग की गई थी। आयोग ने एक अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि SIR प्रक्रिया की जानकारी आम जनता तक पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
ECI ने बताया कि बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) ने घर-घर जाकर मतदाता विवरण (एन्यूमरेशन फॉर्म) एकत्र किए। इसके अलावा, बिहार से बाहर काम करने वाले प्रवासी लोगों को जागरूक करने के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन प्रकाशित किए गए। साथ ही, SMS और सोशल मीडिया के जरिए व्यापक प्रचार अभियान चलाया गया। SIR प्रक्रिया में लोगों की मदद के लिए करीब 2.5 लाख स्वयंसेवकों की भी तैनाती की गई है।
आयोग ने यह भी कहा कि ड्राफ्ट सूची में शामिल न हो पाने वाले लोग घोषणा पत्र देकर अपना नाम जुड़वा सकते हैं। साथ ही, सभी राजनीतिक दलों को उन लोगों की सूची दी गई है जिनका एन्यूमरेशन फॉर्म प्राप्त नहीं हुआ है। आयोग ने स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य हर योग्य मतदाता को मतदाता सूची में सम्मिलित करना है और इस दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।




