पाकुड़
आज पाकुड़ के हिरणपुर प्रखंड में आदिवासी समाज द्वारा मांझी परगना महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें भारी बारिश के बीच, हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। चंपाई ने कहा कि यहां जुटे आदिवासी समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों तथा मार्गदर्शकों ने खुल कर स्वीकार किया कि घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज का अस्तित्व संकट में है। घुसपैठिए हमारी जमीनों को हड़प रहे हैं, और उनकी वजह से समाज की बहन- बेटियों की अस्मत खतरे में है। बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं फूलो-झानो को अपना आदर्श मानने वाले हमारे आदिवासी समाज ने जल- जंगल- जमीन तथा भाषा-संस्कृति एवं अस्तित्व की लड़ाई में कभी आत्म सम्मान से समझौता नहीं किया। हम उस समाज से आते हैं, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किया था।
कहा, आज पाकुड़ में आदिवासी समाज अल्पसंख्यक हो चुका है, जबकि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए इस मुद्दे को नकार रहे हैं। इस क्षेत्र में संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम लागू है तथा आदिवासी परंपरा के अनुसार बेटियों को पैतृक सम्पत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलता, फिर ये लोग कैसे जमीनें लूट रहे हैं? इस क्षेत्र के कई गांवों में अब आदिवासी परिवार विलुप्त हो चुके हैं। भोले-भाले आदिवासियों से जमीन हड़पने एवं बेटियों को फंसा कर, उनके सहारे जमाई टोला में बसने तथा उनके जरिए आरक्षित पदों पर कब्जा करने के मामले अब आम हो चुके हैं। बारिश के बावजूद हजारों की संख्या में जुटी भीड़ इस बात का प्रमाण है कि संथाल समाज अब इसे बर्दास्त नहीं करेगा।
चंपाई ने कहा, संथाल परगना की सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हम एक बार फिर लड़ाई लड़ेंगे। समाज की संस्कृति, सभ्यता की पहचान बनाए रखने के लिए आदिवासी एवं मूलवासी को एकजुट होकर अपनी जमीन के साथ-साथ अपनी अस्मिता को भी बचाना जरूरी है। इस महासम्मेलन में पूर्व विधायक श्री लोबिन हेंब्रम, पूर्व विधायक श्रीमती सीता सोरेन, श्री निर्मल टुडू, दुर्गा मरांडी, बाबूधन मुर्मू, प्रोफेसर निर्मल मुर्मू, श्याम दे हेंब्रम, विकास गौड़ एवं गमलियम हेंब्रम समेत हजारों लोग शामिल हुए।